श्याम बेनेगल और किसानों का रिश्ता: ‘मंथन’ के मायने
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December 24, 2024

सिनेमा को एक गंभीर ऊंचाई तक पहुंचाने वाले सत्यजीत राय के बाद अब श्याम बेनेगल भी चले गए। सार्थक और समानांतर सिनेमा के ऑइकॉन बन गए बेनेगल के लिए सिनेमा समाज की उन सच्चाइयों का आईना रहा जहां जीवन की जद्दोजहद और आम लोगों के सवाल अहम थे... बेशक वह 90 साल के हो चुके थे, डॉयलिसिस पर भी थे, लेकिन आखिरी दिनों तक अपने गंभीर प्रोजेक्ट्स को लेकर चिंतित थे... श्याम बेनेगल के कई आयाम हैं... उन

सब कंधों पर टंगे हुए हैं अपने-अपने थैले
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December 23, 2024

संसद में इन दिनों थैला बंद सियासत का ज़ोर है... कुछ थैले कंधे पर हैं तो कुछ अलग अलग तरीकों से संसद के भीतर... बाहर तो झोला छाप कामरेड से लेकर झोला झाप लेखक और डॉक्टर की चर्चा तो अक्सर होती है लेकिन अब ये झोला संस्कृति कुछ बदली बदली सी है.. कुछ झोले पर पार्टी के निशान तो नेताओं की फोटो तो कुछ पर आंदोलन के नारे... कमाल की इस झोला या थैला संस्कृति पर जाने माने व्यंग्यकार और पत्रकार

कृष्णा सोबती अभिव्यक्ति का खतरा उठाती थीं – गिरधर राठी
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December 20, 2024

जानी मानी कथाकार और उपन्यासकार कृष्णा सोबती की जन्मशती बेशक फरवरी 2025  से शुरु हो रही हो, लेकिन साहित्य अकादमी ने 19 और 20 दिसंबर को दो दिनों तक उनकी पूरी साहित्यिक यात्रा पर गंभीर आयोजन किया। इस संगोष्ठी में कृष्णा सोबती के व्यक्तित्व के तमाम पहलुओं के साथ उनके लेखन के तमाम आयामों पर चर्चा हुई। 
सोबती की भाषा मर्मभ

कहानी किसी अखबार की खबर नहीं होती: ‘चमन’
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December 16, 2024

गाजियाबाद में कहानियों के सार्थक मंच और इसके सफल मासिक आयोजन ने  'कथा रंग' के बैनर तले तमाम दिग्गज कथाकारों को जोड़ने में कामयाबी पाई है। हर महीने होने वाले इस आयोजन में तकरीबन साठ सत्तर लोगों की लगातार मौजूदगी और सक्रिय भागीदारी यह साबित करती है कि कहानी लेखन को लेकर कितनी बारीक बातें लोग सुनना समझना चाहते हैं। बेशक हर बार नई नई कहानियां सामने आना , उनपर चर्चा होना और तमाम वरिष

आखिरी वक्त तक सजी रही शो मैन की महफ़िल
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December 13, 2024

हिन्दी सिनेमा के सबसे बड़े शो मैन राजकपूर की जन्मशती पर विशेष  सिनेमा की दुनिया को बेहद करीब से समझने वाले और राजकपूर जैसे शोमैन की कलायात्रा को गहराई से महसूस करने वाले जाने माने पत्रकार और लेखक प्रताप सिंह ने उनकी जन्मशती के मौके पर बेहद संजीदगा के साथ 7 रंग के लिए ये विशेष पेशकश भेजी है... राज साहब की फिल्म यात्रा को समझने के साथ ही उन

‘बारादरी’ हिंदुस्तानी तहजीब की नई इबारत लिख रही है: इकबाल अशहर
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December 9, 2024

कतरा कतरा कम होता हूं इस मौसम से यारी की, जिस्म पिघल कर बह जाता है कुछ कुछ रोज पसीने में: नबील बारादरी में गूंजे शेर, गीत, दोहों पर देर तक झूमे श्रोता Read More

‘भूली बिसरी गायिकाओं को तवायफ़ कहना बन्द करें’
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December 9, 2024

रामेश्वरी नेहरू ने केवल पत्रकारिता और संपादन ही नहीं किया, हरिजनों और दंगा पीड़ितों की भी सेवा की
नई दिल्ली।
आज से 115 साल पहले स्त्री दर्पण पत्रिका निकालकर  स्त्री आंदोलन शुरू करने वाली संपादक रामेश्वरी नेहरू ने

वीरेनियत से हिंदी कविता के लिए उम्मीद जगी है
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November 16, 2024

धारदार, मार्मिक और राजनीतिक रूप से सचेत कविताएं
शहर का नाम बदलने से इतिहास नहीं बदल जाता
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हिंदी के दिवंगत कवि वीरेन डंगवाल धीरे धीरे एक प्रतीक में बदलते जा रहे हैं। धूमिल के बाद युवा वर्ग में वह लोकप्रिय होते जा रहे हैं।इसके पीछे युवा कवियों नए पाठकों और छात्रों का प्यार और श्रद्धा छिपी हुई

मजाज़ हूं सरफ़रोश हूं मैं…
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October 19, 2024

  जोश मलीहाबादी ने अपनी आत्मकथा ‘यादों की बरात’ में लिखा है,‘‘बेहद अफ़सोस है कि मैं यह लिखने को ज़िंदा हूं कि मजाज़ मर गया. यह कोई मुझसे पूछे कि मजाज़ क्या था और क्या हो सकता था. मरते वक़्त तक उसका महज एक चौथाई दिमाग़ ही खुलने पाया था और उसका सारा क़लाम उस एक चौथाई खुले दिमाग़ की खुलावट का करिश्मा है. अगर वह बुढ़ापे की उम्र तक आता, तो अपने दौर का सबसे बड़ा शायर हो

डेंगू के एक बुद्धिजीवी मच्छर से खास बातचीत
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October 18, 2024

मच्छर आपको हर जगह मिल जाएंगे। इनके लिए कहीं कोई रोक-टोक नहीं। जहां अनुकूल माहौल मिला डाल दिया डेरा डंगर और फैला लिया अपना साम्राज्य। कोई भी मौसम या कोई भी जगह इनके लिए पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं है। फिर भी जहां इनके रहने, खाने और पीने की सुविधाएं मिलती हैं, वहां चप्पे-चप्पे पर इन्हीं का कब्जा रहता है। अपने यहां मच्छरों के लिए सारी सुविधाएं मौजूद हैं। प्रशासन इनका विशेष

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