राजेश कुमार वैसे तो हर साल किसी न किसी लेखक, राजनेता, चित्रकार व नाटककार - अभिनेता - निर्देशक की जन्मशती आती और जाती रहती है । लोग उनकी जन्मशती अपने - अपने स्तर पर मनाते रहते हैं । कई संस्थाएँ - साहित्यिक - सामाजिक संगठन भी किसी न किसी रूप में उन्हें याद करते हैं । उनके किए गए कार्यों का मूल्यांकन होता ह
क्रांतिकारी जनवादी धारा के वरिष्ठतम कवियों में से एक ध्रुवदेव मिश्र पाषाण का जाना हिन्दी कविता और साहित्य के लिए एक सदमे वाली खबर है... पाषाण जी के लेखन से लेकर उनकी विचारधारा और जीवन संघर्ष के बारे में बता रहे हैं जाने माने कवि, पत्रकार कौशल किशोर.. पाषाण जी को 7 रंग परिवार की ओर से सादर नमन.. Read More
श्याम बेनेगल के होने के अपने मायने थे.. उनके पास सिनेमाई कौशल के साथ अपने समाज के ज़रूरी सवाल भी रहे और उन सवालों पर सोचने को मजबूर कर देने की कला भी... समानांतर सिनेमा को भी उन्होंने उस लीक से हटाने की कोशिश की जिसे कई दफा बोझिल और उबाऊ करार दिया जाता रहा.. क्योंकि बेनेगल सिनेमा के व्याकरण को भी बखूबी समझते थे...आखिर श्याम बेनेगल के सफरनामें की क्या खासियतें रहीं जो उन्हें इ
सिनेमा को एक गंभीर ऊंचाई तक पहुंचाने वाले सत्यजीत राय के बाद अब श्याम बेनेगल भी चले गए। सार्थक और समानांतर सिनेमा के ऑइकॉन बन गए बेनेगल के लिए सिनेमा समाज की उन सच्चाइयों का आईना रहा जहां जीवन की जद्दोजहद और आम लोगों के सवाल अहम थे... बेशक वह 90 साल के हो चुके थे, डॉयलिसिस पर भी थे, लेकिन आखिरी दिनों तक अपने गंभीर प्रोजेक्ट्स को लेकर चिंतित थे... श्याम बेनेगल के कई आयाम हैं... उन